उस मोड़ पर मुस्कान बरसी थी ..

पिचले हफ्ते की बात है ,जब भी हमें कभी शाम का समय खाली मिलता है ,
हम अपने डोग्गी जी को लेकर घुमने निकल जाते है | उस दिन भी निकल पड़े
सैर करने |
दो मोड़ छोड़ के,तीसरे मोड़ पे एक कॉलेज स्थित है | शायद वहा सालाना युवा
मोहोत्सव हो रहा था | बड़ी जोर शोर से आवाजे आ रही थी | पहले तो कुछ झुंझलाहट
हुयी | दिमाग में बिजली दौडी , इतना हल्ला शोर , कितनी तकलीफ होती होगी आसपास
रहने वालों को | बाकि कभी हो न हो ,ऐसे वक़्त सारे वहा रहनेवाले अजनबियों से हमें
बड़ी हमदर्दी महसूस हुयी | हाला की किसीने भी किसी से कोई शिकायत नहीं की होगी |

जब हम मोड़ तक पहुंचे ,आवाजे स्पष्ट होने लगी | अब हम भी माइक में गूंजते स्वर
सुन पा रहे थे | शायद कुछ कविता ,या मुशायरा चल रहा था,नहीं सब लोग ठहाके
मार कर हस रहे थे | हमने भी अपने कान तेज कर लिए |
जो हमने सुना वो कुछ ऐसा था

उठते हुए हँसती हों
बैठते हुए हँसती हो
चलते हुए हँसती हो
घूमते हुए हँसती हो
बोलते हुए हँसती हो

तुम्हे क्या लगा तुम सिर्फ अकेली दात् घसती हों

शायद बहुत लोगों ने इसे सुना भी हों ,मगर हमने पहली बार सुना था | फिर जिस अंदाज़
में ये बयां हुआ था,हम तो रस्ते पे खड़े होकर जोर जोर से हसने लगे | न आने जानेवाले की
कोई परवाह थी ,न कोई हमें देख रहा इस बात की |
बहुत समय बाद दिल खोल के,शायद पेट भर के हसे थे हम | अब जब भी उस मोड़ से
गुजरते है ,वो पंक्तियाँ मन से होठों तक मुस्कान बरसाती है | उस मोड़ का,मुस्कान का और हमारा
अनजाने में ही ,संगम हुआ है |

19 टिप्पणियां

  1. फ़रवरी 28, 2009 at 6:16 पूर्वाह्न

    अच्छा रोचक प्रसंग लिखा है।सच मे कुछ बाते इसी तरह याद रह जाती हैं।

  2. उन्मुक्त said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 6:30 पूर्वाह्न

    🙂

  3. limit said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 6:42 पूर्वाह्न

    ” ha ha ha ha ha great..”

    Regards

  4. mamta said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 6:51 पूर्वाह्न

    🙂 🙂

  5. rashmi prabha said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 7:33 पूर्वाह्न

    hahaha……mast

  6. alpana said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 7:34 पूर्वाह्न

    ha ha ha ha!
    kya jabardast shayari hai ….:D
    waise poore yakin se kah sakti hun isey sun kar to tumhara doggi bhi hansa jarur hoga!
    subah subah muskrahat bikhra gayee tumhari yah post 🙂

  7. himanshu said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 7:59 पूर्वाह्न

    वाह, वाह !
    यह शायरी तो जबर्दस्त है.
    मजा आ गया.

  8. Dr Anurag said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 8:02 पूर्वाह्न

    हमने भी लुत्फ़ ले लिया मोहतरमा ….

  9. फ़रवरी 28, 2009 at 8:32 पूर्वाह्न

    पोस्ट पढ़ते हुवे हमें भी हंसी आ गयी सचमुच ……………
    बहूत खूब

  10. ShikhaDeepak said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 9:34 पूर्वाह्न

    भाई हँसी तो हम भी नहीं रोक पाये।

  11. shobha said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 10:25 पूर्वाह्न

    हा हा हा बहुत बढ़िया ।

  12. tasliim said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 10:39 पूर्वाह्न

    उठते हुए हँसती हों
    बैठते हुए हँसती हो
    चलते हुए हँसती हो
    घूमते हुए हँसती हो
    बोलते हुए हँसती हो
    तुम्हे क्या लगा तुम सिर्फ अकेली दात् घसती हों

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है, शेयर करने के लिए आभार।

  13. ranjana said,

    फ़रवरी 28, 2009 at 1:45 अपराह्न

    ha ha ha sachmuch gajab ki shayri hai….

  14. फ़रवरी 28, 2009 at 5:57 अपराह्न

    पहले तो दिल खोल के हंस लू, फ़िर टिपण्णी दुगां
    धन्यवाद

  15. मार्च 1, 2009 at 2:19 अपराह्न

    वाह….. बेहतरीन अनुभव है महक जी.. बधाई..

  16. rohit said,

    मार्च 12, 2009 at 7:44 पूर्वाह्न

    hahaha
    Lol …kia baat hai.
    rohit

  17. rohit said,

    मार्च 12, 2009 at 7:49 पूर्वाह्न

    Mehak
    Apni kuch aise hi mast chnad line yaad aa gai…yeh shyari professional life ke shurati dino me kafi karte they. Humne ise JhakJhaki Ka naam dia tha……But professional life me bhool gaya tha, kiyoki life ne hi jhakjhaki suru kar di the….hehehhe….sochta hu phir se suru karoo..

    thax for remind me abt my pyari jhakjhakia

    rohit

  18. kiran baliyan said,

    मई 31, 2010 at 11:31 पूर्वाह्न

    Rohit, pata nahin aap kis ‘yug’ se profession mein hain. Hum bachpan mein- lagbhag chalish varsh purva, hindi upnyas padha karte the. Hamara ek favourite character that- Vijay jo Ved Prakash kamboj ki krti that- yanee Vedprakash kamboj ke upnyason ka main character. Vo jo tokbandi karta tha, use ‘Jhakjhaki ka naam diya that. To mere hisab se Jhakjhaki Vedprakas Kamboj dwara chalyee term hai.
    What says you?
    Baliyan


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